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Savita bhabhi 1

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यह घटना तब की है जब उस समय मेरी
उम्र लगभग 18 साल की रही होगी,
मैं बारहवीं में पढ़ता था और अपने
इम्तिहान दे चुका था। उस वक्त मेरी
लम्बाई भी पूरी मरदाना नाप की
5’8’ हो चुकी थी। मेरे लण्ड का नाप
8.3 इन्च लम्बा और 2.8 इन्च मोटा
है.. मैं दिखने में अधिक स्मार्ट तो हूँ..
पर ज्यादा गोरा नहीं हूँ.. लेकिन
ज्यादा सांवला भी नहीं हूँ।
मैं अपनी छुट्टियों का मजा ले रहा
था। अभी मेरी छुट्टियों के कुछ ही
दिन हुए थे कि तभी हमारे पड़ोस में
एक परिवार रहने आया। उस परिवार
में 4 मेम्बर थे.. पति.. पत्नी.. 4 साल
का एक बेटा और उनकी एक ढाई
साल की प्यारी सी बेटी थी।
वो परिवार.. हमारे घर के बगल में
किराए के कमरे में रहने लगा।
भाभी का नाम था नीलिमा.. और
उनकी उम्र कुछ अधिक नहीं थी..
जवानी तो उनके जिस्म से फूटी
पड़ती थी। क्या दिखती थी वो..
एकदम मस्त आइटम लगती थी। उनका
फिगर 34-28-38 का था.. और
उनकी हाईट 5.2 थी।
उनका रंग बहुत ज्यादा गोरा नहीं
था.. पर उनके चेहरे की छवि बहुत ही
प्यारी थी.. जिसके कारण वो बहुत
ज्यादा आकर्षक दिखती थीं।
उनकी गाण्ड बाहर की तरफ कुछ
ज्यादा ही निकली हुई थी.. जो उन्हें
और भी ज्यादा कामुक बना रही
थी।
पहली बार जब मैंने नीलिमा भाभी
को देखा.. तभी मेरे दिल में गिटार
और दिमाग में घंटियां बजने लगी थीं।
वो मुझे किरतु साईट की सविता
भाभी Savita Bhabhi
जैसी लगती थी…
दोस्तो, जब वो काले रंग के कपड़े
पहनती थीं तो वो बला की खूबसूरत
लगती थीं।
नीलिमा भाभी के पतिदेव मोबाइल
कम्पनी में मैनेजर की पोस्ट पर थे..
जिस कारण ज्यादातर उन्हें अपनी
कम्पनी के मीटिंग के सिलसिले में घर
से बाहर ही रहना पड़ता था।
कुछ दिनों में ही उनके परिवार के
हमारे परिवार के साथ अच्छे संबध हो
गए थे जिस कारण उनका हमारे यहाँ
और हमारा उनके यहाँ बेरोक-टोक
आना-जाना हो गया था।
जैसा कि मैंने बताया कि मैं भी
अपना ज्यादा वक्त अकसर उन्हीं के
घर में बिताने लगा था। मैं जब भी
उनके घर जाता था.. तो कुछ देर तक
भाभी से बातें करता था और किसी
ना किसी बहाने से उन्हें छूने कि
कोशिश करता था।
अब मैं भाभी को चोदने की नजर से
देखने लगा था.. इसलिए मैं कभी
भाभी से बातें कर लिया करता था..
कभी उनके बच्चों के साथ खेल लिया
करता था और कभी-कभी देर तक बैठ
कर टीवी देख लिया करता था।
नीलिमा भाभी भी मुझसे बातें करने
के दौरान जब हँसती थीं.. तो मेरा
दिल धड़क उठता था। कभी-कभी मैं
भाभी को अश्लील कहानियाँ..
चुटकुले.. शायरियाँ सुना दिया करता
था।
इस दौरान भाभी भी कभी-कभी मेरे
कान पकड़ लेती थीं.. कभी मेरे गालों
को पकड़ कर निचोड़ सा देती थीं..
तो कभी मेरे पिछवाड़े में हल्की सी
चपत लगा देती थीं। उनकी इन हरकतों
से मुझे लगता था कि शायद वो भी
मुझे पसंद करती थीं।
एक दिन दोपहर को जब मैं अपने
कॉलेज से आया.. तो सीधे नीलिमा
भाभी के यहाँ चला गया.. क्योंकि
मेरे घर पर कोई नहीं था। पापा और
मम्मी पापा के किसी दोस्त के यहाँ
उनसे मिलने गए हुए थे.. और वो शाम से
पहले वापस भी नहीं आने वाले थे।
जब मैं नीलिमा भाभी के घर गया तो
सीधे उनके कमरे में चला गया। जहाँ
नीलिमा भाभी अपनी बेटी को
अपना दूध पिला रही थीं।
जब मैंने नीलिमा भाभी को अपनी
बेटी को दूध पिलाते हुए देखा तो मैं
भाभी की चूची को देखकर एकदम दंग
रह गया।
मैं एकटक भाभी की चूचियों को
घूरता रहा। जो कि नीलिमा भाभी
की नजरों ने देख लिया।
यह देख कर नीलिमा भाभी धीरे से
मुस्कुराईं और बोलीं- क्या देख रहे हो
कुणाल.. अपनी भतीजी को दूध
पिलाते हुए देख रहे हो?
तो मैं शरमा गया और बात को छुपाते
हुए कहा- ऐसा कुछ भी नहीं है
भाभी..
मैंने अपनी नजरों को नीचे झुका
लिया और वहाँ से सीधे ड्राइंगरूम में
चला गया, मैं वहाँ बैठ कर टीवी देखने
लगा.. पर मेरे आँखों के सामने तो
नीलिमा भाभी की 34 साईज की
चूचियाँ ही घूम रही थीं..
जो मेरे मन में और लण्ड में हलचल पैदा
कर रही थीं।
उस वक्त दोपहर के 12 बज रहे थे। फिर
थोड़ी देर बाद नीलिमा भाभी अपने
कमरे से बाहर आईं और उन्होंने मुझसे
कहा- कुणाल तुम्हें कोई जल्दी तो
नहीं है ना?
भाभी को नंगी देखा
मैंने कहा- नहीं भाभी मुझे कोई
जल्दी नहीं है।
तो उन्होंने मुझसे कहा- तुम यहीं बैठो
और टीवी देखो.. मैं तब तक नहा कर
आती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है भाभी..
भाभी नहाने चली गईं।
तभी मेरे दिल और लण्ड में फिर से
हलचल पैदा हो गई और मैंने सोचा कि
भाभी को नंगी नहाते हुए देखा जाए।
मैंने पक्का फैसला कर ही लिया कि
मैं आज भाभी को नहाते हुए बिल्कुल
नंगी जरूर देखूँगा।
मैंने टीवी की आवाज थोड़ी सी
बढ़ा दी और सीधे बाथरूम के पास
चला गया।
वहाँ एक टेबल पर खड़ा होकर बाथरुम
के रोशनदान से भाभी को नंगी होते
हुए देखने लगा। नंगी नीलिमा भाभी
बिल्कुल वैसी ही लग रही थी जैसी
सविता भाभी चित्र कथा में भाभी
लगती है।
मैंने देखा कि भाभी अपनी साड़ी
उतार चुकी थीं और वो अपना
पेटीकोट और ब्लाउज पहने हुए खड़ी
थीं।
फिर उन्होंने अपना ब्लाउज उतारा
तो उसके नीचे से उनकी ब्रा में कसी
हुई गोरी और मस्त गोल-गोल
चूचियाँ निकलने को बेताब सी
दिखीं.. जिसे देखकर मेरा लण्ड खड़ा
हो चुका था। फिर भाभी ने अपनी
पेटीकोट का नाड़ा खोला.. अब
भाभी अपनी पैन्टी और ब्रा पहने ही
खड़ी थीं और भाभी अपनी चूचियों
को और कामुक बदन को आईने में
निहार रही थीं।
बाथरुम का आइना जिस ओर था..
ठीक उसकी दूसरी ओर से मैं अन्दर
झाँक रहा था।
एकाएक भाभी मेरी ओर मुड़ी और
अपने मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही
पकड़ कर मसलने लगीं।
वो चुदासी सी होकर अपने मुँह से
सिसकारियाँ लेने लगीं.. शायद
भाभी ने बाथरुम के शीशे से मुझे उनको
नंगा होते हुए देखते हुए देख लिया
होगा।
फिर भाभी अपनी चूचियों को पकड़
कर अपनी होंठों को काटने लगीं और
आहिस्ते-आहिस्ते सविता भाभी के
जैसे ही अपनी ब्रा के हुक खोलकर उसे
उतारने लगीं।
मेरी समझ में आ गया कि आज भाभी
की चूत में आग लगी है। मैं भी उनको
देख कर गरम हो चुका था और मेरा
लौड़ा खड़ा हो गया था। मैं अपने
लौड़े को सहला कर शांत करा रहा
था- रुक जा भोसड़ी के, आज चूत
मिलेगी तो तू ही तो चूत का औजार
है मादरचोद.. जार सब्र तो कर।
इतने में जाने कैसे ऊपर से कुछ चीज की
आवाज आई और भाभी ने रोशनदान
की तरफ देखा तो मैं सकपका गया..
और जल्दी से उतर कर अभी नीचे
उतरा ही था कि भाभी ने दरवाजा
खोल दिया और मेरा हाथ पकड़
लिया।
मेरी तो फट गई.. कि आज माँ चुद गई
अब जाने क्या होगा।
आगे क्या हुआ? जानने के लिए
funjadu.com पढ़ते रहें,
Rajsharma67457@gmail.com

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