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सफ़र चुदाई का 1

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सफ़र में मस्तीI1
जून का महीना था..
गर्मी जोरों से पड़ रही
थी। आपको मालूम ही
होगा की दिल्ली में
गर्मी और सर्दी
बहुत अच्छे से पड़ती है। मैं
अपने भाई से मिलने ग्रेटर नॉएडा जा रहा था..
करीब दिन के 11 बजे मैं घर से
निकला था और आधा घंटे में ही मैं
ग्रेटर नॉएडा एक्सप्रेस-वे पर पहुँच कर
अभी मैं 10 किलोमीटर
ही चला था कि मेरी
गाड़ी पंचर हो गई
ग्रेटर नॉएडा एक्सप्रेस-वे पर पूरे रास्ते में
कुछ भी नहीं मिलता..
न ही गाड़ी
ठीक करने वाले और न
ही पानी वाले मिलते
हैं।
अभी मैं अपनी
गाड़ी का टायर बदल
ही रहा था.. तब तक एक और
गाड़ी मेरे गाड़ी से कुछ
दूर आ कर रुकी। मैंने
गाड़ी को देखा.. फिर अपना टायर
बदलने लगा। तभी मेरे
पीछे से आवाज आई.. मैंने
पीछे मुड़ कर देखा तो देखता रह
गया.. क्या लग रही
थी..
उसने हल्के गुलाबी रंग
की साड़ी पहन
रखी थी.. उसका रंग
गोरा और चूचे बड़े- बड़े थे, उसने
साड़ी नाभि तक पहन
रखी थी।
तभी उसने दुबारा आवाज लगाई-
हैलो मेरी गाड़ी स्टार्ट
नहीं हो रही है..
प्लीज एक बार चैक कर लेंगे।
मैंने बोला- ठीक है.. देखता हूँ।
तब तक मैं टायर बदल चुका था, मैं टायर और
टूल गाड़ी में रख कर
उसकी गाड़ी
की तरफ गया और जैसे
ही मैंने गाड़ी स्टार्ट
करने की कोशिश की..
तो देखा गाड़ी ‘ओवर-
हीट’ हो गई है।
मैंने बोला- मैडम आपकी
गाड़ी गर्म हो गई है।
यह कहते हुए मैंने उसकी ओर
देखा.. वो पूरी पसीने से
भीग चुकी
थी.. पसीना उसके माथे
से होता हुआ गालों को चूमता हुआ गर्दन से
होते हुए.. दोनों चूचियों के बीच में
से बह रहा था।
मैंने कहा- मैडम.. आप तो पसीने
से भीग गई हैं। आप
मेरी गाड़ी में चलिए.. मैं
गाड़ी का AC चालू दूँगा.. आप
वहीं बैठना.. तब तक मैं
किसी गाड़ी रिपेयर करने
वाले को बुला लेता हूँ।
वो मान गई और मेरे साथ मेरी
गाड़ी में बैठ गई।
मैंने कार स्टार्ट करके एसी ऑन
कर दिया। फिर मैंने अपने भाई को फ़ोन किया और
पूछा- किसी गाड़ी
रिपेयर करने वाले को जानते हो.. तो
एक्सप्रेस-वे पर भेज दो.. गाड़ी
खराब हो गई है.. और सुनो गाड़ी
ठीक करने वाले को मेरा फ़ोन नम्बर
दे दियो।
फिर मैंने फ़ोन कट किया और उसकी
तरफ देखने लगा, उसका पसीना
सूख चुका था।
अब उसे मैंने अपना परिचय दिया- मैं साहिल
हूँ.. दिल्ली में रहता हूँ और
जॉब करता हूँ.. ग्रेटर नॉएडा अपने चचेरे भाई
से मिलने जा रहा हूँ।
फिर जवाब में उसे अपना नाम बताया- मैं कविता
हूँ.. ग्रेटर नॉएडा में रहती हूँ
और स्कूल टीचर हूँ।
कविता- आपने अपने भाई को यह क्यों
नहीं बताया कि आपकी
नहीं.. किसी और
की कार खराब हुई है।
मैं- अगर बता देता तो शाम तक कोई
भी गाड़ी
ठीक करने वाला नहीं
आता।
कविता- ऐसी बात है क्या?
इसी बीच में मेरे भाई
का फ़ोन आया, उसने कहा- गाड़ी
ठीक करने वाला 30 से 40 मिनट
में पहुँच जाएगा।
मैं- गाड़ी ठीक करने
वाला आ रहा है।
यह सुन कर कविता की जान में
जान आई- चलो ठीक है.. कोई तो
आ रहा है.. साहिल तुम न होते तो आज मेरा
क्या हाल होता.. आपका बहुत-बहुत
शुक्रिया।
मैं- कोई बात नहीं.. मैं
नहीं होता तो कोई न कोई
आपकी मदद जरूर करता। एक
लेडी की तो कोई
भी मदद करता है।
कविता- पता नहीं इस रास्ते पर
कोई भी गाड़ी
नहीं रोकना चाहता। वैसे
भी यहाँ आए दिन और वो
भी दिन में खून और रेप जैसे घटना
होती रहती हैं।
मैं- हाँ.. कोई नई बात नहीं..
फिर हमारी बातों का सिलसिला चल
पड़ा।
इससे मुझे यह पता चला कि उसके पति
सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और एक
साल के लिए UK में किसी प्रोजेक्ट
के सिलसिले में गए हुए हैं।
बातों के दौरान मेरे महिला मित्र और ग्रेटर नॉएडा
क्या करने जा रहा हूँ.. कविता ने यह सब
पता किया।
करीब 40 मिनट बाद
गाड़ी ठीक करने वाला
आया और गाड़ी देखने बाद बोला-
गाड़ी को वर्कशॉप में ले जाना पड़ेगा
इसका हौज पाइप फट गया है। उसने
गाड़ी को अपनी
गाड़ी के पीछे बाँधा और
पीछे-पीछे चल दिया।
कविता मेरी गाड़ी में मेरे
साथ चल दी।
वर्कशॉप पहुँचने के बाद एक घंटे इंतजार
करने के बाद वर्कशॉप का मैनेजर कहता है
कि इस कार का हौज पाइप कल तक आ पाएगा।
मैंने कविता से कहा- मैं आपको घर छोड़ देता
हूँ।
फिर हम उसके घर की तरफ
निकल पड़े और कुछ समय बाद कविता के घर
पहुंचे।
कविता ने कार से निकलते समय मुझे चाय के
लिए बुलाया।
मैं- कविता जी वैसे ही
मैं लेट हो चुका हूँ और मेरा भाई
भी वेट कर रहा होगा..
प्लीज मुझे जाने
दीजिए।
कविता- पता है.. कभी
भी किसी खूबसूरत
औरत को मना नहीं करना चाहिए..
चाय या ठंडा पी कर चले जाना।
मैं मान गया और कविता जी के साथ
उनके घर में अन्दर गया। उसका घर
काफी अच्छी तरह से
सजाया हुआ था।
घर में एक नौकरानी भी
थी.. जिसने हमें कोल्ड-ड्रिंक
लाकर दी।
हमने साथ में कोल्ड ड्रिंक पी
और एक-दूसरे का फ़ोन नम्बर लिया और बातें
करने लगे।
फिर कविता ने मुझसे पूछा- रात को अपने भाई के
पास रुकोगे या फिर वापस दिल्ली
जाओगे।
मैंने कहा- अभी तो 3 बज रहे
हैं.. मैं शाम को करीब 7 बजे
वापस चला जाऊँगा।
आधे घंटे में कोल्ड ड्रिंक खत्म
की.. फिर मैंने कविता से हाथ मिलाया
और अपने भाई के पास चला गया।
शाम के साढ़े सात बज रहे थे.. कविता का फ़ोन
आया।
मैं- हैलो.. कविता जी
कैसी हैं आप.. कैसे याद किया?
कविता- मैं घर पर बोर हो रही
थी.. सोचा तुम्हें फ़ोन कर लूँ..
अभी तुम कहाँ हो?
मैं- मैं बस अपने भाई के घर से निकल
ही रहा था.. बताईए मैं
आपकी कैसे मदद कर सकता
हूँ?
कविता- अभी तक गए
नहीं.. कोई बात
नहीं.. क्या जाने से पहले मिलते
हुए जा सकते हो?
मैं घड़ी में देखता हुआ बोला- हाँ..
अभी दस मिनट में आपके घर
पहुँचता हूँ।
कविता- ठीक है.. मैं आपका
इंतजार कर रही हूँ।
मैं कविता जी के घर पहुँचा.. कविता
जी ने कहा- आइए.. मैं बोर हो
रही थी और मुझे
शॉपिंग पर भी जाना है.. पर मेरे
पास इस समय कोई गाड़ी
नहीं है।
मैंने बोला- कोई बात नहीं.. मैं
चलता हूँ आपके साथ शॉपिंग करने।
शॉपिंग तो बहाना था कविता जी तो
सिर्फ मेरे साथ घूमना चाहती
थीं।
शॉपिंग करते वक़्त हम एक-दूसरे के हाथों में
हाथ डाल कर और कविता मेरे कंधे पर सर
रखे हुए थी। हम दोनों बिंदास घूम
रहे थे।
थोड़ा बहुत सामान खरीदने के बाद
जब वापस आ रहे थे.. तो अँधेरा हो गया था।
गाड़ी चलाते समय कविता मेरे कंधे
पर सर रख बातें कर रही
थी।
जब मैंने कविता जी को घर छोड़ा..
उस समय रात के 9:30 बज गए थे। कविता
जी ने कहा- अब खाना खा कर
ही जाना.. रात हो गई है।
मैं भी मान गया। मेरा मन था कि
कविता जी मुझे आज रात के लिए
अपने घर ही रोक लें।
घर में जाते वक़्त कविता ने कहा- अगर तुम
आज रुक जाते तो अच्छा होता.. मेरा मन कुछ
घबरा सा रहा है।
मैंने कहा- मैं रुक तो जाऊँगा पर..
मुझे रोकते हुए कविता जी ने
कहा- मैं तुम्हें अपने पति की
नाईट-ड्रेस दे दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है.. मैं घर फ़ोन
कर देता हूँ।
घर में अन्दर जाने के बाद कविता ने मुझे बदलने
के लिए लोवर और टी-शर्ट
दी.. दोनों ही मेरे पर
ठीक से फिट हो गईं। कविता खुद
एक सिल्क टाइप मैटेरियल की
मैक्सी पहन कर आई। जब मैंने
कविता को उस नाईट-ड्रेस में देखा.. तो देखता
ही रह गया।
कविता पर यह ड्रेस बहुत ही
ज्यादा अच्छा लग रहा था।
जब मैं उसकी तरफ ऊपर से
नीचे बार-बार देख रहा था.. तो
कविता ने कटाक्ष करते हुए पूछा- क्या देख
रहे हो?
मैंने बोला- कुछ नहीं..
काफी अच्छी लग
रही हो।
कविता बोली- मैं खाना
लगाती हूँ.. खाना खाकर
टीवी देखेंगे। हमने
खाना खाकर जब टीवी
देखने बैठे.. तो करीब साढ़े दस बज
गए थे।
हमने एक हिंदी मूवी
चैनल लगाया और देखने लगे।
अभी करीब दस मिनट
ही हुए होंगे कि कविता रोने
लगी.. मैं उसके पास जाकर बैठ
गया.. और उसका हाथ लेकर सहलाने लगा-
क्या हुआ?


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