मेरी उम्र 20 के ऊपर है. मैं एक किराने की दूकान में काम करता हु. उसे हम किराना की दूकान नहीं बोल सकते, वो बेसिकली एक सुपर मार्किट है. आज जो कहानी मैं आपको सुना रहा हु, वो कोई फेक या सोची हुई नहीं है. ये वो कहानी है, जो मेरे साथ और अंजिली के साथ माहौल में बहकर और भावना में बहकर हो गयी. अंजिली एक ३८-३९ साल की मदमस्त औरत थी उस समय. वो हमारे सुपर स्टोर के सामने वाली सोसाइटी में रहती थी. काफी बड़ी सोसाइटी थी और पुरानी भी. लेकिन वहां कर मैनेजमेंट एकदम ख़राब. रोड टूटी हुई, चोकीदार नहीं.. कोई भी आ रहा है और कोई भी जा रहा है. लोग वहां से या तो अपने फ्लैट छोड़कर या बेचकर जाने लगे थे. इसलिए हमारे सुपरस्टोर में कुछ खास भीड़ भी नहीं रहती थी. पहले तो मालिक आते थे. लेकिन, फिर उन्होंने एक सुपर मार्किट किसी और सोसाइटी में डाल लिया और काम ज्यादा होने की वजह से वहां पर बैठने लगे.
मैंने मालिक के पास काफी समय से थे और विश्वासपात्र भी था, तो इस सुपरस्टोर को चलाने की जिम्मेदारी मेरे पर थी. मैं पढ़ा लिखा थोड़ा कम था, लेकिन सुपर मार्किट अच्छे से चलाता था और अच्छे से रहता था. अंजिली और उसके पति वहां सामने सोसाइटी में कुछ महीने पहले ही आये थे रेंट पर. वैसे तो वो अच्छे घर थे और उनका अपना मकान भी होगा, लेकिन अंजिली किसी स्कूल में टीचर थी और स्कूल के पास होने की वजह से शायद वो कुछ ही समय के लिए वहां शिफ्ट हुए थे. अंजिली हम लोगो के यहाँ से राशन लेती थी. उनके पति काफी बिजी आदमी थे और मैंने उनके साथ का ही देखा था. मैंने हमेशा अंजिली को सुबह स्कूल को जाते हुए और दोपहर में स्कूल से आते हुए देखा था और जब वो हमारे यहाँ सामान खरीदने आती थी. दोस्तों, अंजिली के बारे में क्या बोलू.. औरत तो वो थी ही नहीं.. कोई परी या कोई अप्सरा या काम की देवी.. जिसकी पूजा करने को हर मर्द बेताब रहता है. अंजिली हमेशा साड़ी ही पहनती थी और उस पर डीप कट का ब्लाउज. उसके मस्त उरोज हमेशा उसकी ब्लाउज से बाहर निकलने को बेताब रहते थे.
अंजिली का फिगर ३६ – ३२ – ३८ था, मैंने उसे बाद में मापा. वो कैसे तो आप को मैं बताऊंगा. लेकिन, जब वो वो मेरी दूकान में आती, तो मेरा लंड एकदम से फुंकारे मारने लगता और मैंने अपने आप को काउंटर के पीछे छिपा लेता. मुझे डर था कि वो कहीं बुरा मान जाए और मालिक से मेरी शिकायत ना कर दे. उसका चेहरा इतना प्यारा, कि जो उसे देखे, वो सिर्फ उसी को देखता रह जाए. उसकी आँखे इतनी मदमस्त, कि जिसको वो देख ले वो उसके तीखे नयन से घायल हो जाए. उसके होठ.. उम्म्मम्म क्या बोलो.. जैसे कोमल गुलाब की पंखुड़िया… दोस्तों, आप के तो पता नहीं, लेकिन मेरे लौड़े पर गरमाहट होने लगी अभी से. उन दिनों बारिश का मौसम था और आपको तो पता ही होगा, कि अब मुंबई के बाद दिल्ली – एनसीआर की बारिश लोगो को रुला देती है. अंजिली सुबह जल्दी चली गयी थी उस दिन और उसके पति भी बाद में चले गये. अक्सर अब अंजिली मुझे जाते और आते समय देख लेती थी, तो मेरे मुस्कुराने के जवाब में मुस्कुरा देती थी.
अचानक से उस दिन मौसम ऐसा ख़राब हुआ, कि अँधेरे और बारिश ने कहर मचा दिया था. अंजिली बारिश होने के कारण एक ऑटो से वापस आई थी. क्योंकि बारिश होने की वजह से पहले स्कूल वालो ने बसों से बच्चो को छुडवाया और बाद में टीचर अपने आप गये. अंजिली वापस आई, तो सोसाइटी के बाहर हालत बहुत ख़राब थी. इ ठीक सीवर का पाइप फट गया था. अंजिली को ऑटो वाला मेरी दूकान के सामने छोड़ कर चले गया था. वो हैरान और परेशान खड़ी थी. मैं उसे अन्दर से देख रहा था. मुझे लगा उस दिन वो अपनी चाबी भी नहीं ले गयी थी और जब उसने अपने पति को फ़ोन किया, तो उसने भी कहा – वो बारिश में फसा है और कब वापस आएगा, पता नहीं. मैं उसके पास गया और बोला – क्या हुआ मैडम जी. वो बोली – देख छोटू, आज ही प्रॉब्लम होनी थी. बारिश हो गयी, चाबी घर के बाहर भूल गयी और वो भी रात तक ही आयेंगे. अंजिली पानी में भीगी हुई थी और उसके ब्लाउज से उसके भीगे हुए चूचो का आकार नज़र आ रहा था. उसके होठो से पानी टपक रहा था.
दोस्तों, क्या बताऊ. उसको काट खाने का दिल कर रहा था और मेरे लंड ने उसे ३६ तोपों की सलामी देनी शुरू कर दी थी. मेरे दिल में उसको दबोचने की कुबुलाहट बड़ने लगी थी. मैंने उसको कहा – मैडम जी, आप अन्दर आ जाओ. तो वो अन्दर आ गयी और मैंने उसको दूकान के अन्दर एक कुर्सी दे दी. वो बहुत जयादा भीग गयी थी, तो मैंने स्टॉक में से फटाफट एक नया तोलिया खोला और उसको दे दिया. वो मेरी इस हरकत पर मुस्कुराने लगी और अपने बाल और शरीर को पोछने लगी. मैंने वहां एक छोटी सी किचन बनाकर चाय का इंतजाम किया हुआ था. तो मैंने फटाफट चाय बना दी उसके लिए और उसको पीने के लिए दे दी. बाहर आंधी और तूफ़ान आने लगा था और मैंने उनसे पूछकर अन्दर से शटर नीचे गिरा दिया. अब तो मेरा लंड मेरे लोअर को फाड़कर बाहर आने को मचल रहा था. मैंने उसे दबाने की नाकाम कोशिश कर रहा था. उसने मुझे देख लिया और वो उठ खड़ी हुई और स्टोर देखने का नाटक करने लगी. वो मेरे पास आई और मुझसे बोली – तुम मुझे देख कर काउंटर के पीछे क्यों छुपने लग जाते हो. मैंने थोड़ा मचलते हुआ कहा – कुछ नहीं मैडम जी. मैंने तो नहीं छुपता.
मेरे लंड के कड़क अहसास को देख कर शायद उसकी आँखों में चमक आ रही थी. मैंने अब मौका गवाना उचित नहीं समझा और मैंने मौके का फायदा उठाते हुए, उसको अपने बाहों में पकड़ लिया. वो एकदम से पीछे हो गयी और मुझे डाटने लगी. वो बोली – मेरी मुस्कराहट का गलत मतलब निकाल रहे हो. वो पीछे हो रही थी और मैं आगे बड रहा था. शटर बंद था और बाहर बहुत ज्यादा बारिश हो रही थी, तो मुझे किसी के आने का डर भी नहीं था. बाद में क्या होगा, वो मैं सोच भी नहीं पा रहा था. मेरे सिर पर तो सिर्फ अंजली को चोदने का भुत सवार था. मैंने उसको साइड में पड़ी हुई, आटे की बोरियो पर धक्का दे दिया और वो गिर गयी और फिर मैंने उसके ऊपर कूद लगा दी और उसकी साड़ी का एकदम से खोल दिया. वो भीगे हुए ब्लाउज और पेटीकोट में कातिल लग रही थी. मैंने बड़ी ही बैचेनी से उसके चेहरे को पकड़ा और उसके होठो को अपने होठो में दबा दिया और उसको चूसने लगा. हम दोनों के मुह से पच – पच – पच की आवाज़ आ रही थी. वो मुझे लगातार पीछे धकेल रही थी. लेकिन, मैंने उसको चूमने के साथ – साथ उसके मम्मो को उसकी ब्लाउज के ऊपर से पकड़ लिया और मसलने लगा. मैंने मेरे इस तरह करने से शायद या मौसम की वजह से वो भी गरम होने लगी और उसने मुझे कंधो से पकड़ लिया और मेरे होठो मस्ती में चूमने लगी.
अब तो मेरी मौज हो गयी थी. मैंने फटाफट अपने कपड़े खोल दिए और मेरा ८ इंच का फनफनता हुआ लंड उसकी आँखों के सामने लहराने लगा. वो एकदम से सहर उठी और बोली – आदमी का है या गधे का. मैं मुस्कुरा उठा और बोला – जो भी, आज तुमसे ही शांत करवा कर मानेगा. मैंने उसके ब्लाउज को खोल दिया और उसके पेटीकोट को भी उतार दिया. उसने ब्रा पहनी हुई थी पर पेंटी नहीं. मैं अब बहुत बेचेन हो चूका था और ज्यादा लेट करने के मूड में नहीं था. तो मैंने एकदम से उसकी ब्रा खीच ली और वो टूट गयी. उसके बड़े – बड़े मम्मे एकदम से बाहर झूल गये. मुझे नहीं पता था, कि ब्लाउज की कैद में इतने मस्त संतरे होंगे. मैंने साइड में से एक इंचटेप निकाला और उसके चुचे और गांड को मापा. ३६ के चुचे और ३८ गांड, आज तो मेरा लंड ख़ुशी से फुला नहीं समां रहा था. मैंने उसको बोरी से टीका कर बैठाया और उसके ऊपर आ गया और उसके मम्मो को अपने हाथ से पकड़ कर उसको पाने मुह में दबा कर चूसने लगा. मैंने अपने हाथ में उसके मम्मो को फसा लिया था और उनको बेदर्दी से दबा रहा था और उसके निप्पल अब मेरे दातो के बीच में थे और मैं उनको किसी बच्चे की तरह चूस रहा था और काट रहा था.
उसके मुह से अह्हह्ह्ह्हह्ह आआआ ऊहोह्हूह्होहोह मर गयी … बहुत अच्छा … मस्त अहहहः… आग्गागागागा और करो … जैसे आवाज़े निकल रही थी. उसने अपने एक हाथ में मेरे लंड को ले लिया और उसको खीचने लगी और अपनी चूत पर रख कर रगड़ने लगी. फिर मैंने नीचे होकर अपने मुह को चूत गुलाबी चूत पर लगा दिया. दोस्तों, क्या गजब की चूत थी उसकी… एकदम गुलाबी अन्दर से और बाहर से शेव और एकदम गोरी.. मेरे सामने वो गीली थी और उसमे से उसका चूत रस टपक रहा था. मैंने अपनी ऊँगली से चूत को छुआ, तो वो सिहर उठी और उसकी टाँगे मचलने लगी. मैंने उसकी टांगो को पकड़ा और अपनी से जीभ उसकी चूत के दाने पर लगा दी. अब वो पागल हो गयी थी और उसने मेरे बालो को खीचना शुरू कर दिया था. मैंने हाथ बड़ा कर उसको थोड़ा साथ ऊपर किया और उसकी गांड में ऊँगली डाल दी. अब मैंने मस्ती में उसकी चूत को चाट रहा था और उसकी गांड में ऊँगली भी कर रहा था. उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और उसने अपने चूत रस में मेरे मुह को भिगो दिया.
मुझे लगा, कि अब और देर नहीं करनी चाहिए और मैंने उसको बोरियो पर लिटा दिया और उसकी टांगो को खीच कर अपने कंधे पर रख दिया और फिर अपने हाथो से अपने लंड को उसकी चूत पर सेट किया और फिर एक जोर दार धक्का मारा,… मेरा लंड और उसकी चूत दोनों बहुत ही ज्यादा गिले थे, तो मेरा लंड सरसराता हुआ, एकदम से उसकी चूत में फिट हो गया.. उसके मुह से इतनी जोर से आवाज़ निकली.. आआआआआआआआआआआआह्हह्हह्हह्ह… मर गयी…. मार डाला हरामी… अहहहः. कि मुझे लगा, आज तो मैं गया. मैंने एक पल के लिए रुक गया. तो वो बोलने लगी, मदार्चोद, किसका इंतज़ार कर रहा है… चोद मुझे. मैंने इतना सुनकर धक्के लगाने शुरू कर दिए अहहहहहः अहहहहः अहहहहः ऊऊऊओह्हह्ह ऊऊह्ह्ह्ह सिसिसिसिस्स्स्सी मर गयी .. मर गी … चोद साले… चोद मुझे… अह्गाहहहः अहहहः … उसकी आवाज़े मेरा जोश और भी बड़ा रही थी और फिर मेरी स्पीड तेज होने लगी. मैंने बोला – तुम्हारा हो गया. वो बोली – टू चोद साले… आज तो मुझे मज़ा ही आ गया. पता नही कितनी बार झड़ चुकी हु और अब फिर आने वाली हु और इतना कहते ही, उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपने टांगो से मेरी गरदन को पकड़ लिया और फिर एक मिनट में ही ढीली पड़ गयी.
अब उसने कहा – बाहर निकाल ले.. मैंने कहा, मैं आने वाला हु. तो उसने अपना हाथ आगे बड़ा कर मेरा लंड बाहर खीच लिया और उठ कर बैठ गयी. उसने अपने लंड को एकदम से अपने मुह में ले लिया और अपने हाथो और मुह से चूसने लगी और एक ही मिनट में मेरे लंड से रस जब आने वाला था, तो मैंने अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी. उसने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और मेरा मुह मारने लगी. मेरे मुठ की एकदम से गरम पिचकारी निकली और वो उसके मुह, बाल और आँखों और उसके होठो पर गिर गयी. उसने मेरे लंड को खीचना बंद नहीं किया और फिर जब तक खिचती रही, जब तक उसने लास्ट ड्राप तक नहीं गिरा दी. दोस्तों, अंजिली की कामुकता ने बारिश के मौसम में मुझे पूरा भिगो दिया. काफी समय हो गया था. मैंने बहुत खुश था.. चमक तो उसके चेहरे पर थी, लेकिन वो कुछ परेशान लग रही थी. मैंने कुछ पूछना उचित नहीं समझा और उसको कॉफ़ी पिलाई. अब बारिश रुक चुकी थी और पानी भी उतरने लगा था. शाम को वो चली गयी और मैं अपनी किस्मत को धन्यवाद देता रहा. उसके बाद मुझे अंजिली के साथ सेक्स करने का मौका नहीं मिला और बार में वो लोग कहीं और शिफ्ट हो गये. आज तक मैंने बहुत सी लडकियों को चोदा है. लेकिन, जो मज़ा मुझे अंजिली को चोदने में आया; वो मुझे आज तक नहीं मिला.
Rajsharma67457@gmail. Com
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Baris me chudai ka maja
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