बात तब की है.. जब मैं 21 साल
का का हुआ.. तो अपने गाँव से जॉब के लिए
कल्याण शहर में आया था। इधर मैंने किराए पर
एक मकान ले लिया। मैं रोज अपने काम पर 8
बजे निकलता.. और रात को 8 बजे घर आता।
ऐसे ही तीन-चार साल
निकल गए। एक दिन मेरे बॉस से झगड़ा हो
गया.. तो मुझे जॉब छोड़नी
पड़ी।
अब मैं अपने कमरे पर ज्यादा रुकता था।
एक दिन मेरे बाजू वाले कमरे में किराए से एक
परिवार रहने के लिए आया.. उनमें पति-
पत्नी (सुन्नू) और दो छोटे लड़के
थे। कुछ ही समय में उन लोगों से
मेरी अच्छी पटने
लगी।
कुछ दिन ऐसा चलता रहा.. सुन्नू
भाभी को देख कर मेरे तनमन में
की बासना जागने
लगी।
फिर क्या था.. भाभी को हासिल
करने के लिए कुछ तो करने की
ज़रूरत थी.. पर पहले ये
भी जानना ज़रूरी था कि
उनके मन में मेरे लिए भी क्या है।
अब इसी बात को लेकर मैं
परिस्थितियों पर नजर रखने लगा और फिर
जिसकी मुझे तलाश थी
वो दिन भी आ गया।
मैं अपने कमरे में बैठ कर कंप्यूटर पर सेक्स
मूवी देख रहा था..
तभी सुन्नू भाभी
अचानक कुछ काम से अन्दर आ गईं और
मूवी देख कर मुझसे
बोलीं- आप ऐसी
मूवी देखते हो..
आपकी कोई लड़की से
दोस्ती नहीं है क्या?
मैं बोला- अरे भाभी.. कोई
होती तो ये दिन थोड़े
ही देखने पड़ते..
तो भाभी बोलीं- तो क्या
आपने अभी तक सेक्स
नहीं किया?
मैं- अब तक तो नहीं किया..
भाभी ने मेरी तरफ देखा
और बोलीं- आप झूठ बोलते हो..
मैं- भाभी आपकी
कसम.. मैं सच बोल रहा हूँ..
दोस्तो, यह सच बात थी कि 25
साल का होने के बाद भी मैंने अब
तक सेक्स नहीं किया था। क्योंकि
काम-धंधे के चक्कर में समय ही
नहीं मिला.. पर दिल तो बहुत
करता था।
भाभी बोलीं- मुझे
यकीन नहीं हो रहा
है..
मैं- तो आपको यकीन कैसे दिलाऊँ?
भाभी- पहले तो आप मुझे
अपनी दोस्त समझो और हम
एक-दूसरे का नाम लेकर बोलेंगे..
मैं- ठीक है..
सुन्नू- मुझे देखना पड़ेगा कि तुमने
सही में सेक्स नहीं
किया..
मैं- तो देख लो..
मेरी तो मन की मुराद
पूरी हो गई।
सुन्नू- जीतू… आपको
अपनी पैन्ट उतारनी
पड़ेगी।
फिर मैंने अपनी पैन्ट उतार
दी और सुन्नू ने मेरी
अंडरवियर अपने हाथों से उतार दी।
मेरा लोहे जैसा सख्त लण्ड हाथ में लेकर
उसकी ऊपर की
चमड़ी को पीछे करने
की कोशिश करने लगीं..
पर मुझे मीठा-मीठा
दर्द होने लगा।
अचानक उसने लण्ड को मुँह में ले लिया.. मेरा
तो पूरा बदन ज़ोर से कांप उठा और मैंने लण्ड को
मुँह से बाहर निकाल लिया।
सुन्नू- अरे तुम तो सही में कुंवारे
हो..
मुझे सताने में उसे बड़ा मज़ा आ रहा था।
फिर उसने मुस्कुरा कर बोला- कल मैं
तुम्हारी सारी
परेशानी ठीक कर
दूँगी.. अभी मुझे जाना
है..
मैंने भी ‘हाँ’ बोला और वो
चली गई।
मैं अगले दिन का इंतजार करने लगा..
सही में मुझे रात को
नींद नहीं आई।
अगले दिन सुन्नू का पति सवेरे काम के लिए
निकला.. तो मेरी दिल को सुकून मिला
और मैं भी नहाने चला गया।
फिर सुन्नू का इंतजार करने लगा.. टाइम जैसे
थम ही गया था।
उसका इंतजार करते-करते मुझे कब
नींद आ गई.. पता ही
नहीं चला।
फिर धीरे से दरवाजे पर आहट
आई.. मैंने आँखें खोलीं.. तो सामने
सुन्नू खड़ी थी।
मैं उसे देखता ही रह गया.. क्या
मस्त माल दिख रही
थी.. हालांकि उसने गाउन पहना
हुआ था।
सुन्नू- क्या देख रहे हो?
‘सुन्नू.. तुम बहुत सुंदर दिख
रही हो..’
मेरे मुँह से उसकी
तारीफ सुन कर अचानक उसने मुझे
गले से लगा लिया और किस करने
लगी।
मेरे लिए तो ये सब कुछ नया था.. तो मुझे मज़ा
आने लगा और मैं भी जबाब में
उसको किस करने लगा।
हम दोनों काफ़ी गरम हो चुके थे..
तो पता ही नहीं चला
कि हमारे कब कपड़े उतर गए।
उसका गोरा बदन देख कर मुझे मानो नशा हो गया
हो।
वो मेरा लण्ड हाथ से धीरे-
धीरे सहलाने लगी
और मैं भी उसकी चूत
सहलाने लगा।
उसकी चूत पर घने काले बालों में
उसका रस महसूस कर रहा था।
तभी वो बोली- मैं
तुम्हारे लण्ड को अन्दर लेना
चाहती हूँ.. आप
नीचे लेट जाओ!
ठीक उसकी इच्छानुसार
मैंने उसके आदेश का पालन किया और मैं लण्ड
खड़ा करके सीधा नीचे
लेट गया।
फिर वो मेरा कड़ा लण्ड अपनी चूत
पर फिराने लगी.. तो मैं
भी उसके चूचियां दबाने लगा।
फिर वो धीरे धीरे लण्ड
को अन्दर लेने की कोशिश करने
लगी.. पर लण्ड अन्दर
नहीं जा रहा था।
उसने मेरे दोनों हाथ अपने हाथों से
ज़मीन पर दबा कर रखे और ज़ोर
से झटका मार कर लण्ड को अपनी
चूत के अन्दर ले लिया।
तब मेरी और उसकी
दर्द के साथ चीख निकल
पड़ी।
लण्ड की ऊपर की
चमड़ी छिल जाने से दर्द हो रहा
था.. पर मज़ा भी उसे दोगुना मिल
रहा था।
अब वो धीरे-धीरे
ऊपर-नीचे होने लगी
और कामुक आवाज में बोली-
जीतू… आई लव यू..
मैंने भी जवाब में उसको चूम लिया
और फिर उसने अपनी
स्पीड बढ़ाई तो मैं भी
स्वर्ग के मज़े लेने लगा।
करीब 6-7 मिनट जोरों से चुदाई के
बाद वो अकड़ सी गई और जोरदार
किस करने लगी और वो झड़ गई।
फिर 4-5 धक्कों में मैं भी
सीत्कार करता हुआ- सुन्नू..
हाय… ले मैं भी आ गया.. ऐसा
करके मैं भी झड़ गया।
मैंने लण्ड जब धीरे से बाहर
निकाला तो थोड़ा सा खून लण्ड के ऊपर से बह
रहा था। लण्ड के ऊपर की
चमड़ी और नीचे से
नस यानि मेरे लण्ड की
सील.. टूट गई थी।
सुन्नू के चेहरे पर उसकी
जीत दिखाई दे रही
थी.. और उसने बड़े
ही प्यार से मुझे किस किया।
उस दिन के बाद सुन्नू मेरे लण्ड
की दीवानी
हो गई।
कुछ महीने गुजर जाने के बाद
उसके पति को शक हो गया.. तो अचानक मकान
खाली करके वे लोग चले गए।
मुझे सुन्नू की बहुत याद
आती है.. पर वो
नहीं मिली.. आख़िर में
मैं भी ये सोच कर चुप हो गया कि
मेरी वजह से उसके संसार को
आग लगेगी।
दोस्तो, कहानी कैसी लगी
Rajsharma67457@gmail. Com
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