मैंने कहा- देवर आपका हूँ.. इतना
सीधा तो हूँ नहीं.. कि कुछ न करूँ और
फिर लड़कियां मुझ जैसे हैन्डसम को
अकेला पाकर छोड़ती भी नहीं हैं।
मैंने खड़े होकर अपनी बनियान भी
उतार कर भाभी को अपने जिस्म के
कट्स दिखाने लगा, मैंने कहा- देखो न
भाभी.. आपका देवर कितना मस्त
बॉडी-बिल्डर है..
वो गौर से मेरी जिम वाले मजबूत
जिस्म को बड़े गौर से देख रही थीं,
वह बोलीं- वाकयी.. मेरा देवर है तो
लाखों में एक..
फिर मैं हँसते हुए उनके ठीक बगल में बैठ
गया। अब मैंने ऊपर कुछ नहीं पहना था
और मैं भाभी से टच हो रहा था।
भाभी मेरी नंगी छाती को बीच-
बीच में देख रही थीं.. जैसे मेरे मजबूत
जिस्म से आकर्षित हो रही हों।
फिर मैंने कहा- भाभी भैया को गए
बीस दिन हो गए.. आपको याद नहीं
आती उनकी.. और अब तो वो अक्सर
जाते हैं।
वह बोलीं- याद तो बहुत आती है.. पर
अब क्या करें.. तुम्हारे भैया हनीमून के
टाइम तो मुझे छोड़ते ही नहीं थे.. पर
अब तो उनको सिर्फ काम ही
दिखता है.. (फिर हँसकर) खैर.. मेरा
ख्याल रखने को आप तो हैं देवर जी..
मैंने कहा- वो तो हूँ ही..
अब भाभी को कुछ नशा भी हो रहा
था.. मैंने कहा- भाभी.. तो आप
दोनों ने खूब मजे किए हनीमून पर..
अच्छा भाभी एक बात बताओ.. जैसे
सोनम को मैं जब भी कान में कुछ
करता हूँ.. तो उसको कुछ होता है..
आपको भैया के कहाँ छूने पर कुछ
होता है?
वह मुस्कुराने लगीं और कुछ नहीं
बोलीं।
मैंने कहा- बताओ न भाभी..
वह मेरी छाती को छूते हुए बोलीं-
तुम्हारी बॉडी बहुत ठोस लगती है।
मैंने कहा- भाभी मेरे सवाल का
जबाव दो न..
वह आँख दबाते हुए बोलीं- अपने भैया
से ही पूछ लेना..
मैंने कहा- उनसे पूछूँगा तो पिटूंगा..
फिर वह बोलीं- कबीर तुम बहुत हॉट
हो और हम दोनों एक ही उम्र के हैं न..
मैंने कहा- हाँ.. तभी तो हम दोनों
गर्लफ्रेन्ड व ब्वॉयफ्रेन्ड की तरह हैं।
वह हँसने लगीं.. अब वह मेरी छाती
को टच कर रही थीं।
मैंने उनकी गर्दन पर कुछ उंगलियां
फेरीं.. तो वो जोर से पीछे हट गईं और
बोलीं- कबीर मैंने तुम्हें बताया नहीं..
फिर भी तुम्हें पता चल गया कि मुझे
गर्दन पर छूने से कुछ-कुछ होता है।
मैं फिर गर्दन में ही उंगलियां घुमाता
रहा उन्होंने मदमस्त होकर अपनी आँखें
बंद कर लीं और अब वे बोल रही थीं-
मत करो कबीर..
मैं समझ गया कि उनका मूड बन रहा है,
मैंने कहा- पल्लवी भाभी.. मैं आपको
बीस दिन से देख रहा हूँ.. आप कैसी
मुर्झा सी गई हैं।
वह नशे में बोलीं- मैं कर भी क्या
सकती हूँ..
मैंने कहा- आप बताओ.. मैं हूँ न..
आपको कोई कमी नहीं होने दूँगा..
वह बोलीं- तुम वाकयी बहुत प्यारे
हो और आज तुम्हारी बॉडी देखकर
और भी पागल हो रही हूँ।
मैंने कहा- तो खेलो न भाभी.. इस
बॉडी से.. हम दोनों ये सब किसी से
भी शेयर नहीं करेंगे और अपनी जरूरत
पूरी करने में क्या बुराई है.. ये सब
बाहर पूरी करने से अच्छा है.. घर में ही
पूरी हो जाए।
इतना बोलते ही मैंने उन्हें अपने सीने से
चिपका लिया।
मेरे ऐसा करते ही वह मुझे सीने पर
बेतहाशा चूमने लगी.. पागलों की
तरह..
मुझे ऐसा लग रहा था.. जैसे कि वो
वर्षों से प्यासी हो.. मैं भी उनकी
गर्दन.. चेहरा.. आँखें.. सब चूम रहा था।
दोनों ने एक-दूसरे को बहुत जोर से
चिपटाया हुआ था।
वह मेरे कंधे को चूमते हुए धीरे से मेरे
कान में बोली- कबीर.. मुझे सूट टाइट
लग रहा है..
मैं समझ गया.. उनके सूट में पीछे लंबी
जिप लगी थी.. मैंने उनकी जिप धीरे
से खोल दी।
उन्होंने सूट के अन्दर काली इनर पहनी
थी और उसके अन्दर ब्रा.. अब भाभी
का एक हाथ मेरे जींस के ऊपर से ही
मेरे लौड़े पर आ गया था और वह धीरे-
धीरे उसे सहला रही थी।
मेरा लौड़ा अन्दर ही अन्दर बहुत कड़ा
होता जा रहा था.. जैसे जींस फाड़
कर अभी बाहर आ जाएगा।
भाभी को भी लगा कि मुझे तकलीफ
हो रही है.. तो उन्होंने मेरी जींस का
बेल्ट व बटन खोल दिया।
तब मैंने भी उनका सूट पूरा अलग कर
दिया और इनर भी अलग कर दी।
अब भाभी काली नेट वाली ब्रा में
थी.. जिसमें पीछे खोलने के लिए
सिर्फ एक हुक था। उनके मादक मम्मों
को ब्रा में फंसा देखकर मैं तो पागल
ही हो गया। काली ब्रा में एकदम
सफेद दूध से मम्मों को देख कर मैं पागल
कैसे न होता।
मुझे तकलीफ हो रही थी.. तो मैंने
अपनी जींस और अंडरवियर नीचे कर
ली.. अब मेरा आठ इंच का लंड बाहर
तन्ना रहा था।
इसी बीच में मैंने भाभी की सलवार
को भी नीचे कर दिया.. उनकी
सलवार इलास्टिक वाली थी।
मेरा लंड देखकर भाभी बोली-
ओहहह.. कबीर तुम्हारा इतना बड़ा
कैसे हो सकता है.. जबकि वरूण का
इससे बहुत छोटा है।
मैंने कहा- भाभी किसी-किसी का
हो जाता है बड़ा..
उन्होंने मेरे औजार को हाथ में जोर से
पकड़ा और हिलाने लगीं.. तो वो और
भी बड़ा हो गया। आज मेरा लंड कुछ
ज्यादा ही बड़ा हो रहा था.. जैसे
भाभी के हाथों में कोई जादू हो।
मैंने खुद अपने लंड को इतना बड़ा कभी
नहीं देखा था। पल्लवी भाभी मेरा
लवड़ा हिला रही थीं.. तो मेरे मुँह से
आवाजें निकल रही थीं।
मैंने उन्हें जोर से कंधे पर पकड़ रखा था।
भाभी बोलीं- इसे तो प्यार करने का
मन हो रहा है..
मैंने कहा- तो करो न.. आपके लिए ही
तो है..
भाभी को पता नहीं क्या हुआ..
उन्होंने लंड को अपने मुँह में ले लिया..
मैं ‘आहहह.. उहहहहह..’ ही करता रहा..
पर लंड बड़ा होने के कारण भाभी के
मुँह में सिर्फ आधा लंड ही जा पा
रहा था।
मैंने कहा- भाभी आप तो सोनम से
भी ज्यादा हॉट हो..
वह बोली- आज मैं तुम्हें पागल कर
दूँगी.. तुम अपनी सब गर्ल-फ्रेन्ड को
भूल जाओगे।
तभी वो मुझे गहरा चुम्बन करने लगी..
उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों से
मिला दिया और हम दोनों ने अपनी
जीभों को एक-दूसरे के अन्दर घुसा
दीं।
फिर मैंने अपना हाथ उनकी पैंटी में
डाल दिया और उनकी चूत में उंगली
घुसाने की कोशिश करने लगा।
उन्होंने अपने हाथ से पैंटी उतार दी
और मेरी जींस व अंडरवियर भी पूरे
तरीके से उतार दी।
उनकी चूत पर छोटे-छोटे बाल बहुत
हॉट लग रहे थे। अब मैं पूरी तरीके से
नंगा था और भाभी सिर्फ ब्रा में
थीं।
मैंने एक-दो बार ब्रा खोलने की
कोशिश की.. पर उन्होंने नहीं खोलने
दी, वह बोली- कबीर बिस्तर पर
चलो..
मैंने उन्हें बिस्तर पर उठाकर लिटा
दिया और ब्रा का हुक खोले बिना
ही मम्मों को बाहर निकाल कर उनके
‘लाल’ निप्पलों को चूसने लगा।
वो ज़रा कराह कर बोली- प्लीज
कबीर.. धीरे-धीरे चूसो.. निशान पड़
जाएंगे.. और शेप भी बिगड़ जाएगा..
ओहह हहह.. कबीर बहुत दर्द हो रहा
है..
पर मैं कहाँ मानने वाला था.. उनके
मम्मों का आकार लाजबाब था..
बहुत ही प्यारे और ठोस.. मुझे समझ
नहीं आ रहा था कि भैया इनको कैसे
अकेला छोड़ सकते हैं।
मैं उनके मम्मों से बहुत खेला और अब
मेरा लंड एकदम गर्म हो रहा था।
भाभी बोलीं- प्लीज कबीर.. आज
बहुत मन है मेरा.. प्लीज मुझे निराश
मत करना.. अब डाल दो जल्दी से।
मैंने कहा- मुझे आपकी चूत चूसना है
भाभी।
वह बोली- तुम्हें कसम है मेरी.. डालो
जल्दी.. फिर कभी चूस लेना.. अभी
बस डालो.. मुझसे रहा नहीं जा रहा
है।
लंड तो मेरा भी चूत में जाने को तैयार
था। फिर मैं भाभी के ठीक ऊपर उन्हें
चूमते हुए आया।
वह किसी परी की तरह लग रही थीं..
उन्होंने अपनी दोनों टाँगें खुद ही
फैला लीं और मेरा लंड हाथ में पकड़
कर हिलाने लगी।
मैंने कहा- भाभी ज्यादा मत
हिलाओ.. वरना बाहर ही हो
जाएगा..
तो बोली- तुम्हारा बड़ा है.. धीरे-
धीरे अन्दर धकेलना.. वरना मैं एकदम से
नहीं ले पाऊँगी..
उन्होंने लंड को अपनी चूत पर रख
दिया और मेरी कमर को पकड़ कर
बोली- डालो..।
मैंने पहला झटका जोर का दिया..
तो नहीं गया.. दूसरे में भी नहीं गया।
मैंने कहा- कुछ क्रीम या तेल लगा लूँ..
भाभी तो चला जाएगा..
भाभी बोलीं- नहीं फिर मजा नहीं
आएगा..
उन्होंने अपने मुँह से थोड़ा थूक
निकाला और मेरे लंड पर लगाया..।
फिर अपनी टांगें उन्होंने और फैला दीं
और बोलीं- डालो..
इस बार मैंने भी पूरा जोर लगाकर
अन्दर पेला तो एक ही झटके में आधा
लवड़ा चूत के अन्दर चला गया..।
भाभी की आँखें बंद हो गईं और
‘उउउइइइ ईईई..’ की आवाज जोर से
निकली।
मैंने कहा- क्या हुआ?
बोली- दर्द हुआ बहुत जोर का..
मैंने कहा- बाकी का डालूँ?
बोली- हाँ.. धीरे से धकेलो..
वह बहुत जोर से ‘आह.. उहहहह..’ किए
जा रही थी.. पर मैं भी लौड़े को
धकेले जा रहा था।
फिर एक झटके में मैंने पूरा हथियार चूत
की जड़ तक अन्दर कर दिया और
जोर-जोर से झटके देने लगा।
कुछ देर बाद भाभी की ‘आह.. उह..’
कम हुई और वह भी नीचे से धक्के मारने
लगीं।
अब वो कह रही थीं- तुम बहुत मस्त हो
यार.. बहुत प्यार से चुदाई करते हो..
मैंने कहा- यू आर सो स्वीट भाभी..
आज से आप ही मेरी सही वाली
गर्लफ्रेण्ड हो..
भाभी जोर-जोर से चूतड़ों को उठा
कर नीचे से झटके देने लगीं और एकदम
से निढाल हो गईं।
उनकी चूत से बहुत गर्म पानी
निकला.. तभी मेरा भी होने को
आया और मैं लण्ड को बाहर भी नहीं
निकाल पाया और अन्दर ही छूट
गया।
मेरा अन्दर छूट जाने के कारण भाभी
डर गईं.. मैंने कहा- भाभी डरो मत.. मैं
आपको ‘आई-पिल’ दिला दूँगा.. मैंने
सोनम को कई बार दी है..
तब भाभी शांत हुईं.. पर भाभी के
साथ ऐसे चुदाई करने में मुझे बहुत मजा
आया।
फिर थोड़ी देर बाद भाभी ने नई
साड़ी पहनी.. जो उन्हें पहनकर देखनी
थी।
तब हमने दोबारा चुदाई की.. पर
उनकी साड़ी प्यार से उतार कर..
क्योंकि वह साड़ी में भी माल ही
लग रही थीं।
तब तक शाम के छह बज चुके थे.. फिर
मैंने भाभी को रास्ते से ‘आई-पिल’
दिलवा कर शादी वाले घर पर
छोड़ा।
अब भाभी बहुत ही ज्यादा खुश लग
रही थीं उन्होंने उतरते समय मुझे एक
पप्पी दी और ‘थैंक्यू’ बोलते हुए एक
आँख मारते हुए बोलीं- कल शादी में
जरूर आना.. मैं कल बहुत सुन्दर साड़ी
पहनने वाली हूँ..
मैंने भी अपनी आँख दबा दी और
कहा- पक्का भाभी.. गुड नाईट।
मैं उन्हें छोड़कर वापिस नोएडा आ
गया और अब मैं भी बहुत खुश था और
अपनी बाकी दो भाभी.. जो कि
दोनों ही बहुत सुन्दर थीं उनकी चुदाई
के बारे में सोचने लगा।
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