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Aunty ki chud fari

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दोस्तों में funjadu का बहुत आभारी हु जिन्होंने मेरी कहानी को अपनाया में ने बहुत लोगो कीकहानी  परी कुछ सच्ची और कुछ झूठी भी तो मेने भी सोचा क्यों ना मेभी मन से कहानी  लिखना सुरु करू और उसके बाद मेरी कहानी आप सब के सामने हे
दोस्तों जैसे कि सबकी जिन्दगी में
ऐसा मौका आता है कि उन्हें अचानक
सेक्स का तोहफा मिलता है. मेरी
जिन्दगी में भी एक बार ऐसा मौका
आया जब मैंने पहली बार सेक्स का
आनन्द लिया, न सिर्फ मैंने आनन्द
लिया बल्कि सेक्स की प्यासी
आंटी की भी प्यास बुझाई.
जब मुझे पहली बार ऐसा मौका
मिला तो मैं थोड़ा नर्वस भी था
और खुश भी था, लेकिन मेरी आंटी
इतनी सेक्सी और लंड की प्यासी थी
कि उनने मेरा हौसला बढ़ाया और
जन्नत का दरवाज़ा मेरे लिए खोला.
दोस्तों बात उन दिनों की है जब मैं
इंजीनियरिंग का दूसरे वर्ष का छात्र
था. मैंने इंजीनियरिंग नागपुर से की
है. रैगिंग के डर से मैंने हॉस्टल नहीं
लिया था बल्कि शहर में पेइंग-गेस्ट
बन कर रहता था.
पहले साल में तो हम 3 दोस्त एक साथ
रहते थे, पर अगले साल पढ़ाई करने के
लिए हमने अलग-अलग रहने का फैसला
कर लिया और मैंने पेइंग-गेस्ट रहने का
निर्णय लिया और एक कमरा ले
लिया, जैसे कि पहले बताया, एक
आंटी के यहाँ रहने लगा.
शुरू-शुरू के कुछ दिन तो ठीक-ठाक
बीत गए. बस हम लोग केवल खाने या
चाय पर ही बात करते थे और मैं अपनी
पढ़ाई में लग जाता.
देर रात तक पढ़ाई करने के बाद सुबह देर
से उठता था, आंटी मुझे सुबह चाय दे
देतीं और चाय खत्म होने तक वहीं पर
बैठ जातीं.
मेरे सामने बैठ कर वो अपना साड़ी
का पल्लू थोड़ा नीचे कर लेती थीं,
पर मैंने कभी इतना ध्यान नहीं दिया.
चाय पी कर नहा-धोकर, नाश्ता
करके कॉलेज चला जाता और शाम
को वापिस आता.
आंटी का मुझमें कुछ ज्यादा इंटरेस्ट
बनता जा रहा था, वो अब रात को
भी मेरे लिए चाय ले कर आ जातीं
और वहीं बैठ जातीं और रात को तो
सिर्फ एक मैक्सी में आती थीं, जिसमें
से उनकी मस्त चूचियाँ आधी दिखाई
देती थीं और वो दुपट्टा भी नहीं ले
कर आती थीं.
अब तो मेरे मन में भी कुछ कुछ होने
लगा था और मैं भी आंटी के बारे में
सोच कर मुठ मार लेता था और सो
जाता था.
एक दिन मेरे सर में थोड़ा दर्द था और
रात को आंटी चाय ले कर आईं तो मैंने
कहा- आज पढ़ाई की इच्छा नहीं है,
थोड़ा सर भारी हो रहा है.
बस फिर क्या था आंटी को मौका
मिल गया. वो एकदम मेरे बेड पर आ गईं
और बोलीं- लाओ मैं सर दबा देती हूँ.
मेरे थोड़ा मना करने, जो कि मैं ऊपरी
मन से कर रहा था, पर भी आंटी नहीं
मानी और उन्होंने मेरा सर अपनी
गोदी में रख लिया और हल्के हाथ से
मालिश करने लगीं.
उनकी गोदी में सर रखने पर मुझे उनके
मादक बदन की खुशबू आने लगी जो
मुझे मदहोश कर रही थी. उनके सर में
हाथ फिराने से मेरा लंड खड़ा होने
लगा था पर मैं थोड़ा घबरा रहा
था… पता नहीं क्यों!
मेरी सांस गर्म होने लगी थी और यह
बात आंटी ने भी महसूस कर ली थी
और उन्होंने अपनी टाँगें थोड़ी खोल
लीं और मेरा सर अच्छे से उनकी चूत के
पास पहुँच गया.
दोस्तों सच कहूँ तो पहली बार
किसी औरत की चूत की खुशबू मैंने
महसूस की थी. अब मेरा लंड पूरी तरह
से खड़ा हो चुका था. मैंने लेटे-लेटे
आंटी की कमर में हाथ डाल लिया
और उनकी कमर में हाथ फिराने लगा.
लेकिन आंटी ने बिल्कुल भी मना नहीं
किया, जिससे मेरा हौसला थोड़ा
बढ़ गया था. मेरा खड़ा हुआ लंड बार-
बार ऊपर-नीचे हो रहा था और आंटी
की नज़र उसी पर थी.
आंटी ने सब कुछ जानते और चाहते हुए
थोड़ा स्मार्ट बनने की कोशिश की
और बोलीं- तुम चाय पीकर सो
जाना, सरदर्द ठीक हो जाएगा.
ऐसा कह कर वो उठने का नाटक करने
लगीं, लेकिन मुझ में भी अब तक बहुत
हौसला आ चुका था.
मैंने लेटे हुए आंटी की कमर पकड़ ली
और उसे थोड़ी देर और बैठे रहने को
कहा.
आंटी तपाक से बोलीं- तुम ऐसे ही
लेटे रहोगे तो मैं यहाँ बैठे-बैठे क्या
करूँगी.
बस फिर क्या था मैंने एकदम उनकी
कमर पकड़ ली और नाभि पर चुम्बन
करने लगा.
मैं आपको बता दूँ कि आंटी की उम्र
लगभग 30 साल की थी और वो बहुत
गोरी और सेक्सी थीं. उनका शरीर
किसी 18 साल की लड़की की तरह
चिकना था.
बस फिर क्या था, आंटी की सोई हुई
प्यास जाग उठी थी, आंटी ने मेरा सर
जोर से दबा लिया. मैंने भी सोचा
कि आज जिन्दगी का मजा आएगा
और एकदम से उठ कर बैठ गया और अब
आंटी मेरी गोदी में थीं.
मेरा खड़ा लंड आंटी के गालों से
टकरा रहा था. मैंने आंटी की चूचियां
मैक्सी के ऊपर से ही दबाना शुरू
किया. आंटी की साँसें भी गर्म होने
लगी थीं.
इतनी नर्म-नर्म चूचियाँ पहली बार
मेरे हाथों में आई थीं.
मैंने जोर-जोर से दबाना शुरू किया
तो आंटी ने कहा- यह तुम्हारी ही
हैं… जरा प्यार से दबाओ.. इतना जोर
लगाने से दर्द होता है!
जोर दिखाने के लिए एक और जगह है
वहाँ पूरा जोर लगा लेना!
बस फिर क्या था मैंने मैक्सी ऊपर से
हटा दी और बहुत प्यार से दबाने
लगा.
अब तक में भी आंटी के साथ लेट गया
था. एक हाथ उनकी नरम और चिकनी
जांघ पर फिराने लगा और एक हाथ से
नर्म-नर्म चूचियाँ दबा रहा था.
आंटी हल्के से सिसकारी लेने लगी
थीं.
मैंने अपने होंठ आंटी के होंठों पर रख
दिए और नाज़ुक अधरों का रस पान
करने लगा, लेकिन दूसरे हाथ से आंटी
की चिकनी चूत ढूंढ ली थी और
उनकी चूत के छेद पर उंगली लगाने से
आंटी भी मस्त हो गई थीं.
अब आंटी भी खुल कर बोल रही थीं
मस्ती में कहने लगीं- मेरे राजा मेरी
इस प्यासी चूत की प्यास बुझा दे…
तुम्हारे अंकल से तो कुछ नहीं होता है!
आंटी ने पजामे के ऊपर से ही मेरा लंड
पकड़ लिया और मसलने लगी.
अब किसी औरत के हाथ में मेरा लंड
और भी मोटा हो गया था. मेरा लंड
देख कर जैसे आंटी के मुँह में पानी आ
गया था और उन्होंने मेरा पजामा
खोल दिया और लंड के दर्शन करके
एकदम अपने मुँह में ले लिया और
लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं.
मेरा पहली बार था तो जल्दी ही
स्खलित हो गया.
आंटी ने मेरा सारा माल पी लिया
और मेरे लंड को चाट कर ऐसा साफ़
कर दिया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो.
लेकिन आंटी की प्यास तो अभी
बुझी ही नहीं थी और मैंने भी चूत के
दर्शन नहीं किए थे, सो अब तक आंटी
की चूत पानी-पानी हो रही थी.
आंटी ने अपनी चूत मेरे मुँह के पास कर
दी और मैंने भी इशारा समझ लिया.
बस उनकी चूत चाटना शुरू कर दिया.
दोस्तो, चूत के पानी में अजीब सा
नशा होता है, उनकी खुशबू से मेरा लंड
फिर से खड़ा होने लगा था.
आंटी भी मेरा लंड पकड़े हुए थीं और
आगे-पीछे कर रही थीं चूत के चाटने से
आंटी बेकाबू हो रही थीं और चूत
मरवाने के लिए तड़प रही थीं.
वे मुझसे बोलीं- मेरे राजा… बस अब
तो फाड़ दो.. इस निगोड़ी चूत को…!
जैसे मैंने बताया कि मेरा यह पहला
अनुभव था, सो चूत मारना भी पहली
बार हो रहा था. पता ही नहीं था
कि कैसे चूत में लंड डालते हैं. मैं बेड पर
सीधा लेट गया और मेरा लंड सीधा
खड़ा था. आंटी मेरे ऊपर आईं और
अपनी चूत के मुँह पर मेरे लंड का
सुपाड़ा लगाया और थोड़ा सा नीचे
जोर लगाया.
बस मेरा लंड तो जैसे इसी की तलाश
में था, सीधा चूत को चीरता हुआ
अन्दर समा गया.
बस आंटी तो मस्त हो गईं, उनके मुँह से
सिसकारी निकल रही थीं.
मेरे हाथ उनकी चूचियाँ पकड़े हुए थे,
जो ऊपर-नीचे होते हुए उछल रही थीं.
चूत की गर्मी से मेरा भी पसीना आने
लगा था, अब मेरा लंड उनकी चूत में
था.
अब आंटी ने कहा- तुम ऊपर आ जाओ,
मर्द के नीचे आ कर चुदवाने से अलग ही
मज़ा आता है.
अब तो मैं भी एक्सपर्ट हो गया था
और कूद-कूद कर आंटी की चूत मार
रहा था.
मुझे मेरे लंड पर गर्म-गर्म लगा तो
आंटी ने कहा- मेरा काम तो हो गया
है.
आंटी की चूत की गर्मी से मेरा भी
माल छूटने वाला था.
मैंने आंटी को इशारा किया तो
आंटी ने कहा- उसे मेरे वीर्य को
पीना है.
सो उन्होंने लंड निकाल कर अपने मुँह में
ले लिया. मेरा सारा माल आंटी के
मुँह में छूट गया. आंटी के मुँह से लंड
निकाल कर मैं आंटी के ऊपर लेट गया.
थोड़ी देर बाद आंटी ने कहा- उसे
जाना होगा, नहीं तो अंकल आ
जायेंगे.
लेकिन मेरा मन नहीं भर रहा था, सो
मैंने कहा- एक बार और चुदाई करते हैं.
पर आंटी ने कहा- सारी चुदाई आज
ही करोगे, थोड़ा सबर करो…! अब तो
रोज़ ही यह खेल हुआ करेगा.
मेरे बार बार कहने पर आंटी एक बार
फिर से चुदवाने के लिए तैयार हो गईं.
पता ही नहीं चला कब रात के 4 बज
गए.
नींद आने लगी थी, आंटी को अपनी
बांहों में लेकर सोने की इच्छा थी, पर
आंटी को जाना पड़ा, क्योंकि अंकल
को शक न हो जाए. लेकिन दोस्तो,
इसके बाद तो यह सिलसिला हर रोज़
का हो गया. आप को मेरी कहानी केसी लगी जरूर बताना
Km91sharma91@gmail.com

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