प्यारी आंटी 1
पूना में रहता हूँ।
मेरी मम्मी
सरकारी नौकरी में हैं
और शाम को 4 बजे के बाद घर
आती हैं।
मेरे घर के बगल में एक आंटी
रहती हैं उनका नाम आकांक्षा
है.. वो लगभग 32 साल की हैं
और बहुत ही सुंदर और
गोरी हैं। उनकी हाईट
करीब 5’4″ होगी
और फिगर 38-30-38 का रहा होगा। वो
टीचर हैं और मेरी
मम्मी की
अच्छी दोस्त हैं। उनका कोई
बच्चा नहीं है.. उनके पति शहर
से बाहर किसी प्राइवेट जॉब में थे
और घर कम आया करते थे।
वो मेरे घर अक्सर आया करती
हैं.. मुझे वो बचपन से ही बहुत
प्यार करती हैं, मैं भी
उनके घर अक्सर जाया करता था..
आंटी मुझसे अपने छोटे-मोटे काम
कराया करती थीं और
मम्मी भी
उनकी मदद कर देती
थीं। वो मुझसे मज़ाक
करती थीं और मुझे
छेड़ती रहती
थीं। पर मैं उनसे
हँसी-मज़ाक के अलावा.. उनको
कभी भी
बुरी नज़र से नहीं
देखा।
मम्मी ने बताया था कि उनके पति
बहुत ड्रिंक करते हैं और अक्सर लड़ाई-
झगड़ा होने के कारण उनका पति से तलाक होने
वाला है.. इसलिए वो घर कम ही
आते हैं। मैं समझ गया कि आकांक्षा
की चूत चुदाई कम ही
होती होगी।
यह बात तब की है.. जब मैं
कॉलेज में नया-नया गया था और घर पर 2 बजे
के बाद आता था। मम्मी घर
की चाभी
आंटी को सुबह दे जाया
करती थीं और मैं
आंटी से दोपहर में ले लेता था।
एक दिन यूँ ही मैं कॉलेज से
आकर आंटी के घर गया तो
आंटी स्कूल से आ गई
थीं और उन्होंने साड़ी
पहनी हुई थी.. वो
साड़ी ही पहन कर
स्कूल जाया करती थीं।
आंटी ने मुझसे पूछा- तुमने खाना
खाया?
तो मैंने कहा- नहीं.. मैं
सीधे घर ही खाना
ख़ाकर सो जाऊँगा..
यह सुनते ही उन्होंने कहा-
ठीक है पर तुम खाना मेरे यहाँ
ही खा लो.. तेरी
मम्मी का फोन आया था.. वो
सीधे ऑफिस से हॉस्पिटल
चली जाएँगी.. क्योंकि
उनकी किसी ऑफिस
की दोस्त का एक्सिडेंट हो गया
है.. और वो रात में भी देर से
ही आ पाएँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने खाना खाया फिर आंटी मुझसे बातें
करने लगीं और फिर मुझे
नींद आने लगी।
वो बोलीं- तू सो जा.. मैं
भी सो जाती हूँ।
यह कह कर वे दूसरे कमरे में
चली गईं।
मैं अभी सोने के लिए लेटा
ही था.. कि मुझे चादर और तकिया
की जरूरत हुई और मैं लेने के
लिए उनके कमरे में जाने लगा.. मैं उनके कमरे
के पास पहुँचा.. उसमें परदा पड़ा था.. मैं जैसे
ही अन्दर घुसने लगा.. तो मैंने
देखा आंटी अपनी
साड़ी उतार रही
थीं और उनकी
नाईटी बिस्तर पर पड़ी
थी
मैं तुरंत बाहर आ गया.. आंटी
मुझे देख नहीं पाई
थीं.. मैं बाहर ही
खड़ा हो गया और पर्दे के एक कोने से उन्हें
देख रहा था।
उन्होंने अपनी साड़ी
उतारी और बिस्तर पर डाल
दी.. अब वो ब्लाउज और
पेटीकोट में मेरे सामने
खड़ी थीं।
उनकी पिछाड़ी
मेरी तरफ थी.. उनके
चूतड़ काफ़ी बड़े थे और ऊपर उठे
हुए थे, पेटीकोट चुस्त होने के
कारण उनके चूतड़ों का आकार साफ़ दिख रहा
था।
यह देखते ही मैं एकदम
हक्का-बक्का रह गया। अब वो ब्लाउज
उतारने लगीं.. ब्लाउज उतरा तो
नीचे नीले रंग
की ब्रा दिखने लगी
थी.. वो इस डिजायनर ब्रा में
बहुत ही मस्त माल लग
रही थीं।
वो घूमी तो मैंने उनके मम्मों को ब्रा
में फड़फड़ाते हुए देखा.. उनके मम्मे बड़े और
सुंदर लग रहे थे.. उनका सीना
काफ़ी गोरा और खूबसूरत था।
मेरा लण्ड अपने आप खड़ा होने लगा। वो सुंदर
तो थी हीं.. पर अब
तो वो ग़ज़ब की लग
रही थीं। अब उन्होंने
अपना पेटीकोट उतारा और वो एक
काम की मूर्ति की
तरह सिर्फ ब्रा और पैन्टी में मेरे
सामने खड़ी थीं। उनके
चूतड़ काफ़ी बड़े थे.. उन्हें बस
चूमने का, चूत चुदाई मन कर रहा था।
उनके चूतड़ों के बड़े होने के कारण
पैन्टी चूतड़ों के बीच में
घुस गई थी और थोड़ी
पसीने से
गीली भी
थी। यह सब देख कर मेरा लण्ड
एकदम कड़ा हो गया था और मैं उसे पैन्ट से
निकाल कर सहलाने लगा।
उनका पेट बहुत ही चिकना था
और नाभि सुंदर और खूबसूरत
थी.. बस मेरा तो उन्हें चूमने का
मन कर रहा था। फिर उन्होंने
अपनी पैन्टी
उतारी और फिर ब्रा भी
उतार दी.. आह्ह.. अब वो
पूरी नंगी
थीं और अपने आपको
शीशे में घूम-घूम कर देख
रही थीं.. जैसे उनको
अपनी मादक काया पर गुमान हो
रहा हो..
उनके चूतड़ बिल्कुल चिकने.. सुडौल और बड़े
थे, उनके मम्मे हवा में गर्व से तने हुए दिख
रहे थे और उनकी
चिकनी बड़ी जांघें..
मुझे पागल कर रही
थीं..
फिर उन्होंने अपनी
नाईटी पहन ली.. जो
नीले रंग की बिना बाँहों
वाली थी। यह
नाईटी शायद गाउन के अन्दर
पहनने वाली होगी..
क्यों वो बहुत ही
सेक्सी किस्म की
थी।
उसके बाद वो बिस्तर पर लेट गईं.. मैं
थोड़ी देर के बाद तकिया अन्दर लेने
गया.. क्योंकि उस वक्त मेरे लण्ड का बुरा
हाल था वो चूत चुदाई चाह रहा था।
मैं उनकी पारदर्शी
नाईटी में से उनके चूचुक और
बड़ी-बड़ी
गोरी जांघें.. साफ़ देख पा रहा था।
मैंने आंटी से तकिया माँगा.. तो
उन्होंने कहा- तू यहीं सो जा..
यहाँ कमरे में ए.सी. चल
ही रहा है.. कहाँ तू दूसरे
कमरे में गर्मी में सोएगा।
मैंने शर्माते हुए उन्हें कई बार मना किया.. पर
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर
अपनी तरफ अपने बगल में बिस्तर
पर खींच लिया।
वो मुझसे अभी भी
पहले जैसे.. किसी बच्चे
की तरह ही पेश
आती थीं.. ऐसा मुझे
लगता था।
मैं बिस्तर पर लेट गया.. वो भी लेट
गईं। वो मेरी तरफ पीठ
करके सो रही थीं.. तो
मैं उनके चूतड़ों को देखते हुए कब सो गया..
मुझे पता ही नहीं
चला।
जब मेरी नींद
टूटी.. तो मैंने देखा कि मेरा हाथ
उनके पेट पर रखा हुआ था,
उनकी नाइटी उनके
घुटने से ऊपर आ गई थी और
उनकी बड़ी-
बड़ी.. गोरी जांघें दिख
रही थीं।
मैंने अपना चेहरा उनकी चूचियों के
एक साइड में घुसा दिया और कुछ देर बाद
उन्होंने भी अपना हाथ.. मेरे सर
पर रख दिया.. जिस मेरा चेहरा
उनकी चूचियों में दबने लगा था। अब
मुझे उनके मुलायम मम्मे महसूस हो रहे
थे.. ये देख कर मैंने नींद में होने
का नाटक करते अपना पैर उनके पैरों के
बीच में घुसेड़ दिया और मेरा लण्ड
उनकी जाँघों में स्पर्श होने लगा..
और जैसे ही उनकी
जाँघों के स्पर्श में मेरा लौड़ा आया.. वो एकदम
से सख्त हो गया।
फिर में इस घर्षण का चूत चुदाई जैसा मज़ा
लेते-लेते फिर से सो गया। मैंने डर के कारण
ज़्यादा कुछ नहीं किया..
जब शाम को मैं उठा.. तो मैं वैसी
ही अवस्था में सो रहा था.. बस
आंटी नहीं
थीं। मैं समझ गया कि
आंटी ने मुझे सोते हुए देख लिया
होगा और नींद में होने के कारण
कुछ नहीं समझा होगा।
मैंने उठ कर देखा कि आंटी चाय बना
रही थीं, मुझे देख
कर वो बोलीं- उठ गए तुम..
बड़ी गहरी
नींद में सोते हो..
वो हँसने लगीं.. मेरी
समझ में आ गया, मैंने पूछा- आप हँस क्यों
रही हैं?
वो मेरे गाल को खींचते हुए
बोलीं- कितना सीधा
है.. चल हाथ-मुँह धोकर चाय-नाश्ता कर
ले.. फिर बाजार चलते हैं.. कुछ सामान
खरीदना है।
फिर आंटी अपने कपड़े बदलने
चली गईं। थोड़ी देर बाद
वो साड़ी पहन कर आ गईं।
मैंने कहा- आप इस साड़ी में
काफ़ी सुंदर लग रही
हो।
वो बोलीं- तू बड़ा मुझे नोटिस करने
लग गया..
इतना कह कर उन्होंने मेरे गाल पर हाथ फेरा
और मेरा गाल खींचते हुए कमरे में
अपना पर्स लेने जाने लगीं।
वो बोलीं- मैं पर्स लेकर के
आती हूँ..
और वे मुड़ कर जाने लगीं.. वो मेरे
आगे चल रही थीं..
तब ही मैंने देखा कि
उनकी ब्रा की लेस
उनके ब्लाउज से बाहर दिख रही
थी।
मैंने सोचा इन्हें ये बात कैसे बताऊँ..
तभी वो रूम में से आते हुए
बोलीं- तेरी कॉलेज में
कोई गर्लफ्रेंड बनी?
मैंने कहा- लड़कियाँ तो हैं.. पर
जैसी लड़की मुझे
पसंद है.. वैसी तो कोई
भी नहीं
दिखी..
उन्होंने पूछा- तुझे कैसी
लड़की पसंद है?
मैंने कहा- जिसका नेचर अच्छा हो.. क्या
बताऊँ.. यूँ समझिए बस.. जैसे आपका..
वो सामने आकर बोलीं- तुझे मेरा
नेचर पसंद है?
मैंने कहा- मुझे आप बहुत पसंद हो.. आप
कितनी केयरिंग हो.. अगर आप
मेरी उम्र की
होतीं.. तो मैं आपसे
ही शादी कर लेता।
वो बोलीं- चल पागल.. बातें बनाना तो
कोई तुझसे सीखे..
मैंने कहा- सच में.. एक बात पूछू.. आप
अकेले बोर नहीं
होतीं?
उन्होंने कहा- तुम आ जाते हो..
कितनी बातें तुमसे ही
कर लेती हूँ।
मैंने जरा मुस्कुराया तो वे अपने दोनों हाथ मेरे
गालों पर रख कर बोलीं- यह
भी तो तेरा ही घर
है.. आ जाया कर.. मेरा मन तेरे साथ लग जाता
है।
मैंने कहा- आप सच में बहुत सुंदर हो
आंटी..
वो मेरे गले में दोनों हाथ डाल करके
बोलीं- कितनी फिकर
है तुझे मेरी.. मुझे बहुत पसंद
करते हो तुम..
कुछ देर हम दोनों चुप रहे और वो
मेरी आँखों में यूँ ही
कामुकता से देखती
रहीं।
मुझे उनकी और अपनी
साँस तेज़ चलने की आवाज़ आ
रही थी.. वो मुझे अब
वो आंटी नहीं लग
रही थीं.. जिनसे मैं
रोज़ मिलता था.. वो मुझे हवस की
प्यासी लग रही
थीं।
अचानक ही वो मुझसे लिपट गईं
और मुझे अपनी बाँहों में कस कर
पकड़ लिया और अपना सिर मेरे
सीने में रख दिया और मुझसे
कहने लगीं- मुझे
कभी भी छोड़ कर मत
जाना.. मैं बहुत अकेली हूँ।
मैं तो हक्का-बक्का रह गया था.. मुझे कुछ
समझ ही नहीं आ
रहा था.. ये कैसा लाड़ है। लेकिन अब मुझे
यकीन हो गया था कि आकांक्षा
आंटी मुझसे चूत चुदाई करवाना
चाहती हैं..
इसके बाद क्या हुआ क्या चाची ने
मुझे चूत चुदाई के लिए उकसाया या
आंटी सिर्फ प्यार की
भूखी निकलीं। अगले
भाग में आपको इसका आनन्द मिलेगा।
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प्यारी आंटी1
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