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मेरी और मेरी मकान मालकिन आंटी

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मेरी और
मेरी मकान मालकिन
आंटी

आंटी की उम्र ३५

साल है, पर उनके हसबैंड की
उम्र ४२ साल है. उनके २ बच्चे है. एक
लड़का ५ साल का और एक लड़की
७ साल की. आंटी का
फिगर थोडा मोटा है, पर वो मस्त माल है. गांड
तो लाजवाब है, पूरा गोल – गोल और उनके
बूब्स भी मस्त है. तो दोस्तों, मैं
अब कहानी पर आता हु. अंकल
की एक मेडिकल शॉप है. अंकल
मोर्निंग में ९:०० बजे शॉप को चले जाते है.
उनके बच्चे भी सुबह ८ बजे
स्कूल चले जाते है और शाम को टूशन पढने
के बाद, स्कूल से वापस आते है. उन्होंने
अपना एक कमरा रेंट पर किराये पर दे रखा है,
जिसमे मैं रहता हु. आंटी
ज्यादातर घर पर साड़ी
पहनती है. मैं उन्हें छुप –
छुप कर देखा करता था जब भी
झाड़ू लगा रही होती,
तो उनकी चुचिया मुझे दिख
जाती थी. मेरा लंड खड़ा
होने लगता था.
एक दिन आंटी कुछ सामान ला
रही थी, तो उनका लेग
फिसल गया और वो गिर पड़ी. मैं
कमरे में ही था और मुझे एक जोर
की आवाज़ आई. मैं दौड़कर बाहर
आया और देखा, कि आंटी बाहर
गिरी हुई है. मैंने जाकर उन्हें
उठाया और पूछा, कहीं चोट तो
नहीं आई. उनसे ठीक
से चला भी नहीं जा
रहा था. मैं उनको सहारा देते हुए, उन्हें रूम
तक ले गया और सोफे पर बैठाया. मैं उनको
पूछने लगा, कि उनको ज्यादा तो
नहीं लगी. तो उन्होंने
मुझे बोला – ड्रावर में मूव है. वो मुझे दे जाना.
मैंने मूव निकाला और आंटी को दे
दिया. फिर, आंटी ने कहा, कि तुम
नीचे गिरा हुआ सामान ले आओ. मैं
सामान नीचे से लेकर रूम में वापस
आया, तो देखा; आंटी ने अपने पेरो
को टेबल पर रखा था और उनकी
साड़ी घुटनों तक चडी
हुई थी और वो मूव लगा
रही थी. क्या मस्त
टाँगे थी यार!… पूरा गोरा मख्खन
जैसे. मेरा लंड तो देखते ही खड़ा
होने लगा. मैंने सामान रखा और
आंटी से बोला – कोई और काम
हो, तो बोलना. आंटी ने कुछ
नहीं बोला और मैं वहां से जाने
लगा.
तो आंटी ने बोला, कि
मेरी कमर में पेन हो रहा है.
क्या तुम, मूव लगा दोगे? मेरी तो
ख़ुशी का ठिकाना ही
नहीं रहा. मैं बोला – क्यों
नहीं आंटी.
आंटी बोली, कि चलो
बेडरूम में और हम दोनों बेडरूम में चले गये.
आंटी बेड पर पेट के बल लेट
गयी और चूची जो
बहुत बड़े थे, दबकर साइड से बाहर आ
गये. उनकी उभरी हुई
गांड देखकर मैं पागल हुए जा रहा था.
आंटी ने मुझे मूव दिया और बोला –
इसे मेरी कमर पर लगा दो. मैं
भी मूव लिया और
उनकी कमर पर लगाने लगा.
आंटी ने बोला, कि पेन थोडा
नीचे हो रहा है.
आंटी ने साड़ी
पहनी हुई थी. मुझे
थोड़ी दिक्कत हो रही
थी. तो मैंने आंटी से
बोला – आप थोड़ा साड़ी को
ढीला कीजिये,
ठीक से लगा देता हु.
आंटी ने कुछ सोचा
नहीं और अपनी
साड़ी को थोडा ढीला
करके नीचे कर दिया. अब गांड के
उभार साफ़ – साफ़ दिख रहे थे. मैं
भी अपने दोनों हाथो से मसाज करने
लगा और कभी –
कभी गांड की दरार को
भी टच कर देता था. पर
आंटी कुछ भी
नहीं बोल रही
थी. मैं भी मज़े लेकर
मालिश कर रहा था.
आधे घंटे मालिश करने के बाद,
आंटी को शायद नीद
आ गयी और वो सो
गयी. मैंने अब आंटी
की साड़ी को
नीचे से उठाया और झांककर देखने
लगा. आंटी ने पेंटी
भी नहीं
पहनी हुई थी और
उसकी बुर साफ़ दिख
रही थी. मेरा तो लंड
पूरा खड़ा था. मैंने अब अपना लंड निकाला और
गांड की दरार में रगड़ने लगा.
आंटी अचानक से
हिली, तो मैं मेरी जान
ही निकल गयी और
मैंने जल्दी से अपना लंड अन्दर
किया और हाथ से पीठ
की मालिश करने लगा.
आंटी बोली – तुम
अभी तक नहीं?
तुम्हे कॉलेज नहीं जाना है? मैं
कुछ नहीं बोला और खड़ा रहा.
आंटी ने बोला – जाओ,
नहीं तो कॉलेज के लिए लेट हो
जाओगे. मैं बेडरूम से सीधा बाथरूम
गया और आंटी के नाम
की मुठ मारा और फ्रेश होकर
कॉलेज चले गया, लेकिन क्लास में कुछ माइंड
नहीं लग रहा था.
आंटी का जिस्म मेरी
आँखों के सामने घूम रहा था और शाम को मैं घर
वापस आ गया. आंटी ने मुझे बुलाया
और मसाज के लिए थैंक्स बोला. फिर उन्होंने
मुझे बोला – कि मैंने इतना अच्छा मसाज करना
कहाँ से सिखा? मैंने कहा – अपने अंकल से
गाँव में. वो कमर दर्द की मालिश
करते है.
और आंटी ने चाय दिया और ऐसे
ही बातें करने लगी, कि
कॉलेज में कोई गर्लफ्रेंड है क्या? मैंने बोला –
नहीं आंटी.
आंटी बोली – झूठ
नहीं बोलो. मैंने कहा –
नहीं आंटी, सच में
नहीं है. फिर वो थोडा गुस्से में
बोली – छोड़ो, ये तुम्हारा पर्सनल
मेटर है. कोई बात नहीं. इतने में
उसके बच्चे आ गये. नेक्स्ट डे,
आंटी ने करीब १०
बजे मुझे बुलाया और बोला, कि मेरी
कमर की मालिश कर देना.
आंटी साड़ी में
थी. आंटी ने बोला,
आज सरसों के तेल से मालिश करना.
जल्दी हो ठीक हो
जायेगी. मैंने बोला –
आंटी ठीक से
नहीं हो पायेगा. तो
आंटी अन्दर गयी और
एक ट्रांसपेरेंट नाईटी डालकर
बाहर आई. ब्लैक नाईटी में क्या
दिख रही थी यार. कड़े
चुचे, शायद उसने अपना ब्रा भी
उतार दिया था. आंटी बेड पर आकर
लेट गयी, पेट के बल और
नाईटी को नीचे से कमर
तक उठा दिया. पर उसने अपना
पेटीकोट पहना हुआ था. मैंने तेल
की बोतल से आयल निकाला और
उनकी कमर की मसाज
करने लगा. मैंने उनकी
नाईटी को धीरे –
धीरे कंधे तक कर दिया,
पेटीकोट टाइट बंधा रहा.
मैं थोड़ी देर पीठ
की मसाज करने के बाद,
नीचे गांड की ओर
आने लगा और आंटी से बोला, कि
थोडा पेटीकोट की
रस्सी
ढीली करना.
आंटी ने रस्सी
ढीली कर
दी. मैंने पेटीकोट को
थोड़ा नीचे सरका दिया. जिससे
उनकी गांड का उभार दिखने लगा.
अब मैं आंटी के कंधे से लेकर
पीठ और गांड तक मालिश कर रहा
था. मेरा लंड तनकर पूरा खड़ा था और मेरा शॉट्स
फाड़कर बाहर आने को बेताब था. अब मैंने
आंटी की दोनों टांगो को
फैला दिया था और उनके बीच में बैठ
गया था और मालिश कर रहा था.
कभी – कभी साइड से
उनके बूब्स को हाथ लगा रहा था. पर
आंटी कुछ नहीं बोल
रही थी और मालिश
का मज़ा आँखे बंद करके ले रही
थी. मैं अब अपना लंड निकालकर
आंटी की गांड से टच
कर रहा था और दोनों हाथो से मसाज
भी. अब मैंने आंटी के
पेटीकोट को नीचे जांघो
तक सरकाया. अब आंटी मेरे सामने
आधी नंगी
लेटी हुई थी.
उनकी सांसे तेज चलने
लगी थी और
मेरी भी धड़कने तेज
हो गयी थी. पर मैंने
अपना काम जारी रखा और लंड को
आंटी की गांड
की दरार में फसाकर आगे –
पीछे होने लगा और
पीछे से उनके बूब्स को
भी मसल देता था.
आंटी शायद मेरे सबर का इन्तजार
कर रही थी. अब
आंटी से रहा नहीं
गया और बोली, पीछे से
ही मसाज करोगे या आगे से
भी और बेड पर सीधा
लेट गयी. जब आंटी
उठी, तो मेरे लंड को
देखती रह गयी और
बोली, कि इतना बड़ा… तेरे चाचा का तो
छोटा सा ही है. ऊपर से पेट
भी निकला हुआ है. मैं बोला, कि
आंटी पहले मैं
आपकी मसाज कर देता हु. अब मैं
उनके बूब्स को धीरे –
धीरे मसलने लगा.
आंटी की सिस्कारिया
निकलने लगी अहहः अहहः
स्सिसिसिसिस स्सस्सस्सीईईईई
उफफ्फ्फ्फ़ चुसो, सारा दूध पी
जाओ. मैं अब आंटी के एक बूब को
मुह में लेकर चूसने लगा और दुसरे को दबाता
रहा. ऐसे ही ३० मिनट तक,
दबाना और चुसना होता रहा और मैं
धीरे – धीरे
नीचे आने लगा. अब मैं
उनकी बुर पर आ गया. क्या चूत
थी यार… एकदम
क्लीन शेव. शायद आज
ही किया था. ब्रेड की
तरह फुल्ली हुई. १० मिनट तक
चूत चाटने के बाद, आंटी का बदन
अकड़ने लगा और वो झड गयी.
आंटी ने बोला, बस… अब बर्दाश्त
नहीं होता है.. डाल दो. मैं बोला,
कि एक बार मेरा लंड भी चुसो.
तो आंटी बोली, कि ये
मैंने अब तक नहीं किया. मैंने ज्यादा
फ़ोर्स नहीं किया और थोडा सरसो
का तेल अपने लंड पर लगाया. लंड को
आंटी की चूत में
रगड़ने लगा. कभी चूत के दाने पर,
कभी नाभि पर. अब मैंने
आंटी की दोनों टांगो को
अपने कंधे पर उठाया और लंड को
उनकी बुर के छेद पर सेट किया.
मैंने फिर एक धक्का लगाया. चूत
गीली होने से लंड का
टोपा आसानी से चला गया. पर
आंटी को दर्द भी होने
लगा था. क्योंकि उनके पति उनको ज्यादा चोदता
नहीं था. वो दूकान से रात १० बजे
तक आते थे और खाना खाकर सो जाते थे.
आंटी की चूत
भी टाइट हो गयी
थी. अब मैं धीरे –
धीरे प्रेशर डालने लगा और लंड ३
-४ इंच अन्दर चला गया. अब मैंने एक जोरदार
धक्का मारा और पूरा ६ इंच का लंड
आंटी की बुर में घुसा
दिया. आंटी के मुह से
थोड़ी सी
चीख निकली, पर
आंटी ने कण्ट्रोल किया और
बोली – धीरे करो. मैंने
कहीं जाने वाली
नहीं हु. मैं थोड़ी देर
ऐसे ही लेटा रहा और उसके बाद
फिर से झटके देना स्टार्ट किया.
आंटी अब मस्त गांड उठा –
उठाकर चुदवा रही थी.
उनके मुह से मादक आवाज़े निकलने
लगी थी.
चोदो और जोर से .. जोर से चोदो. फाड़ दो..
मेरी चूत को.. मैं भी
अब फुल जोश में उन्हें चोद रहा था.
इसी पोजीशन में १५
मिनट की चुदाई करने के बाद, मैं
अब आंटी को डौगी
स्टाइल में होने को बोला. फिर, मैंने
पीछे से आकर उनकी
बुर में अपना लंड डाला और उनको चोदने लगा.
१० -१५ मिनट तक चोदने के बाद, मैंने
अपनी स्पीड बढ़ा
दी और मैं अब झड़ने वाला था.
आंटी से बोला, कि कहाँ निकालू? तो
आंटी ने बोला – अन्दर
ही निकल दो. मैंने अपना सारा माल
अन्दर ही निकला और बुर में
ही लंड डालकर लेटे रहा.
फिर कपरे पहनकर रूम par आगया


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